भारत की पावन भूमि पर जिन महापुरुषों ने जन्म लिया है, उनमे से एक प्रखर व्यक्तिमत्व, दीनदयालजी उपाध्याय थे. एकात्म मानववाद जैसी उन्नत विचारधारा रखने वाले उनके मन में समाज के सबसे पिछड़े हुए व्यक्ति तक को ऊपर उठाने की, उसका सामाजिक और आर्थिक उत्थान करने की ललक थी, लालसा थी.
वे कहते थे : "प्रत्येक भारतवासी हमारे रक्त और मांस का हिस्सा है। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगें जब तक हम हर एक को यह आभास न करा दें कि वह भारत माता की संतान है।" ये केवल कहने मात्र की बात नहीं थी| उपाध्याय जी एक कुशल अधिनायक और संगठनकर्ता थे जो अपनी कथनी और करनी को एक रखने की क्षमता रखते थे|
NYCS में हम उनको अपना प्रेरणास्थान मानते है| NYCS में हम जो कार्यक्रम चलाते है, उन सभी में हमे अन्त्योदय की एक झलक दिखाई देती है| अंत्योदय की मूल प्रवृत्ति है समग्रता और अपनी प्रतिभाओं को सम्प्रेरित करना| अंत्योदय - अंत तक, समाज की अंतिम सीढ़ी पर खड़े हर भारतवासी का उदय| पश्चिमी संस्कृति के विचार – “survival of the fittest” के बिल्कुल विपरीत यह विचार मगर उन्नत भारतीय समाज जीवन की नींव है| दीनदयालजी के अन्त्योदय के सपने को साकार करने की ओर हमारा यह एक प्रयास है|
अंत्योदय के सूत्र पर मार्गक्रमण करते हुए कौशल विकास और अन्य उपक्रमों के अम्ध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण विभागों में गरीबी कम करना हमारा ध्येय है| समाज के जो सामान्य नागरिक है, या पिछड़े हुए है, जो पढ़ाई में सबसे पीछे है, उन्हें हम इस प्रकार तैयार करते है की वे अपना रोजगार स्वयं खोज सकें या किसी और को रोजगार उपलब्ध करा कर दे सकें| न केवल कौशल विकास अपितु उद्यमता भी हमारा लक्ष्य है| कौशल विकास की यह योजना देश के कोने कोने तक पहुँचाने का इस वर्ष का हमारा दृढ़ संकल्प है|
छोटे छोटे शहरों, गाँवों, कस्बों मे हम युवकों और महिलाओं को उनके व्यवसाय में मदद करने हेतु जननिधि की कई शाखाएँ चलते है जो आर्थिक ऋण देकर उन्हें सफलता की ओर कदम बढाने में मदद करती हैं| इस प्रकार हजारों की तादाद तक हम अपनी सहायता पहुँचाने में सफल रहे हैं|
खेल के क्षेत्र में हम जो कार्य कर रहे है, उसके अंतर्गत ग्रामीण भाग से विद्यार्थियों को चुन कर उन्हें आगे उनके खेल के विकास हेतु प्रशिक्षण दिया जाता है| भारत के संपूर्ण विकास का बीड़ा उठाते हुए विश्व के मानचित्र पर इस राष्ट्र का एक अडिग स्थान बनाने का मानस हम रखते हैं|
पं. दीनदयालजी उपाध्याय स्वयं लेखक, पत्रकार और कुशल वक्ता के साथ साथ अर्थशास्त्री, शिक्षाशास्त्री, समाजशास्त्री एवं राजनीतिज्ञ भी थे| भारतीय राजनितिक क्षितिज के इस प्रकाशमान सूर्य ने देश में सभ्यतामूलक एवं सर्वसमावेशक राजनितिक विचर्धर अक प्रचार एवं प्रोत्साहन करते हुए अपने प्राण राष्ट्र को समर्पित कर दिए| NYCS में इन सभी गतिविधियों द्वारा हम पं. दीनदयालजी उपाध्याय को राष्ट्र के सभी घटकों को प्रगति के पथ पर ले जाने की इच्छा को साकार करना चाहते है| यही दीनदयालजी को हमारी ओर से सही श्रद्धांजलि होगी|
उनकी स्मृति को सादर नमन करते हुए बस यही कुछ पंक्तिया याद आती है -
पथ का अन्तिम लक्ष्य नहीं है सिंहासन चढ़ते जाना।
सब समाज को लिये साथ में आगे है बढ़ते जाना॥