“सातत्य से नए आयामों का द्वार खोलते हुए हर जरूरतमंद युवा तक रोजगार के अवसरों को पहुँचाना और सही सहयोग से उसके लिए उन्हें सफलता में परिवर्तित करने की लगन ही हमारी सारी योजनाओं की नींव है |”
क्योंकि मैं एन.वाई.सी.एस के बुनियादी दिनों से ही इस संस्था से जुडा हुआ हूँ, मुझे अब भी उन सभी कारकों का स्मरण है जिनके एक साथ जुड़ जाने की वजह से ही आज संस्था इस मक़ाम पर पहुँच पाई है | युवाओं के वित्तीय स्थैर्य हेतु उनमें रोजगार योग्य कुशलता विकसित करने और सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने का अवसर देने के उद्द्येश्य से ही एक उत्प्रेरक याने “कैटालिस्ट” के रूप में एन.वाई.सी.एस की स्थापना हुई| हर उस युवा में जिसमे कोई हुनर है, या आगे बढ़ने की ज़िद है, उसे सुयोग्य मौका दे पाना ही हमारा मुख्य ध्येय रहा है| इस तत्व को ध्यान में रखते हुए जब भी मैं पीछे मुडकर देखता हूँ तो अपनी संस्था को एक विशाल वृक्ष के रूप में परिवर्तित पाता हूँ, जिसकी हर शाखा समान आवेग से युवाओं के व्यक्तिगत एवं आर्थिक विकास के लिए समर्पित है |
सहकारी संस्था की मुख्य धारणा ही समाज में व्यक्तिगत विकास और लाभ के लिए एक दुसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना है | एन.वाई.सी.एस. प्रत्येक उस व्यक्ति के लिए सहायक बनेगा जिसे साथ की जरूरत है , जिसे अभी अपनी इच्छा अनुसार सफलता नहीं मिली है, या जिसे अपने करियर में किसी भी प्रकार के प्रोत्साहन की आवश्यकता हो| संपर्क की प्रतीक्षा न करते हुए खुद ऐसे हर व्यक्ति तक पहुँचने की हमारी प्रतिबध्दता ही हमारी शक्ति है |
कोई भी इकाई , एकांतरूप से या सभी से अलग रहकर काम नहीं कर सकती| हम किसी भी अन्य संगठनों, एन.जी.ओ, सरकारी निकायों, और निजी कंपनियों के साथ सहयोग करने की आशा रखते हैं – जो समाज के हितधारक हों और ही दिशा में युवाओं को सक्षम बनाने की दृष्टी एवं योजना रखते हों|
एन.वाई.सी.एस इंडिया ने हमेशा ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय की शिक्षा और सिद्धांतों पर चलने की कोशिश की है | सामूहिक और समावेशक प्रयासों द्वारा समाज का विकास यह उनका दृष्टिकोण था। देश की एक बड़ी आबादी अभी भी गरीबी और बेरोजगारी के चंगुल में रह रही है। देश के विकास के लिए विभिन्न मॉडलों की परीक्षा के बाद, उनका मानना था कि हमें विकास के लिए एक एकीकृत और टिकाऊ मॉडल की आवश्यकता है और इसलिए उन्होंने एक वैकल्पिक मॉडल के रूप में 'इंटीग्रल ह्युमेनिझम” का प्रस्ताव रखा | इंटीग्रल ह्युमेनिझम या मानवतावाद का उद्देश्य लोगों की व्यक्तिगत जरूरतों के साथ साथ समाज और राष्ट्र की जरूरतों का संतुलन रखते हुए हर व्यक्ति को गरिमामय जीवन व्यतीत करने का मौका देना है| इंटीग्रल ह्युमेनिझम का मतलब राजनीतिक स्तर से आगे बढ़कर सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी लोकतंत्र को संचालित करना है | यह इस बात की पुष्टि करता है की भिन्न भिन्न जरूरतों के लिए भिन्न भिन्न समाधान हो सकते हैं और भारत जैसे इतिहास , लोकाचार और संस्कृती की विविधता वाले देश के लिए शायद यही योग्य मॉडल है|
दीनदयालजी का यह मानना था कि समाज और परिवार के प्रत्येक व्यक्ति की राष्ट्र विकास में अपनी एक अलग भूमिका है और सभी को इस दिशा में अपना अपना योगदान देने का अवसर मिलना चाहिए| उनका “अंत्योदय” का सिद्धांत भी आर्थिक या कार्यात्मक रूप से समाज के सबसे उपेक्षित पद पर इंसान को भी अपने जीवन में गरिमा प्रदान करना है| एन वाई.सी.एस इंडिया भी उनके इसी तत्व को अपना मानते हुए हर उस युवा को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का कार्य कर रही है जिसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो|
कुशल एवं अनुभवी राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद श्री. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सालों पूर्व यह कहा था कि –“मुझे बस दो दीनदयाल दे दो, मैं भारत के भविष्य का चेहरा ही बदल दूँगा” | दीनदयालजी की महानता का मुकाबला किसी सामान्य व्यक्ति के लिए मुम्किन ही नहीं मगर साहस के साथ कहना चाहूँगा कि एन.वाई.सी.एस इंडिया उसी भावना को पूर्ण भाव से महसूस करते हुए , उन्ही के पदचिन्हों पर चलते हुए अगले पाँच वर्षों में एक करोड़ युवाओं को सक्षम बनाकर आनेवाली पीढ़ी और परिणामस्वरूप देश के भविष्य का चेहरा जरुर बदलेगी | उनके जन्म शताब्दी वर्ष में यही उनके लिए योग्य श्रद्धांजली होगी |
अपनेआप को किसी भी क्षेत्र तक सीमित न रखते हुए हम नित्य नए अवसरों की तलाशने का प्रयास करते हैं और यही एन.वाई.सी.एस की सबसे बड़ी ताकत है | मैं, अपनी संस्था एन.वाई.सी.एस की ओर से आप सभी को हमारे युवा विकास से राष्ट्र विकास के मिशन में सहभागी होने और भारत प्रगति की जिस दिशा की ओर चल पड़ा है, उस सफर का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ|
- श्री. राजेश पांडे (एन.वाई.सी.एस)