क्या है सहकारिता ?
किसी भी व्यक्ति के जीवन का, किसी भी संगठन की उपयुक्तता का, यहाँ तक कि किसी भी राष्ट्र में सरकार के कार्यकाल का निहित ध्येय क्या होता है? क्या विकास और सफलता से परे किसी प्रकार के संयोजन का कोई लक्ष्य हो सकता है? और क्या कोई भी विकास या किसी भी प्रकार की सफलता केवल व्यक्तिगत स्वार्थ के रुप से सही मायने में संभव है? यदि निजी स्वार्थ के चलते व्यक्तिगत विकास के बारे में सोचा भी जाए, तो भी, क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जब तक समाज का विकास नहीं होता, उसका अपना विकास भी अधूरा है| किसी समान उद्द्येश्य कि प्राप्ति हेतु किए गए मिले जुले प्रयास को कहा जाता है सहकार (co-operation) और सहकारिता के मार्ग पर चलने के लिए सबसे आवश्यक संस्कार है – सहयोग| यदि अपने कार्य में मदद चाहिए तो किसी और का बोझ भी बाँटना होगा| अपने लिए सम्मान चाहिए तो दूसरे का आदर भी रखना होगा| अपने सामाजिक और आर्थिक विकास को साध्य करने के लिए दूसरों का सामाजिक और आर्थिक विकास भी चाहना होगा| इसी समान लक्ष्य से प्रेरीत अनेक व्यक्तियों या संस्थाओं के सहयोग का सम्मिलित स्वरूप है सहकारी संस्थाएँ जिन्हें हम आम तौर पर जानते हैं कोऑपरेटिव सोसायटीज् के नाम से|
विश्व सहकारिता दिवस
अन्तर्राष्ट्रीय सहकारिता संघ (International Cooperative Alliance) द्वारा वर्ष १९२३ से हर साल जुलाई माह के पहले शनिवार को विश्व सहकारिता दिवस मनाया जाता है| इस दिवस का प्रमुख उद्द्येश्य सहकारिता का संवर्धन, अन्तर्राष्ट्रीय एकता, आर्थिक दक्षता, शांति और समानता के प्रति जागरुकता बढ़ाना तथा विविध अभियानों के माध्यम से राष्ट्रीय एवं स्थानिक सहकारी पहल का समर्थन करना है| समूचे विश्व में जुलाई १, २०१७ को ९५ वाँ अन्तर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस तथा २३ वाँ यू.एन. डे ऑफ़ को-ऑपरेटिव मनाया जा रहा है| “Cooperatives ensure no-one is left behind” – हर व्यक्ति का विकास, हर किसी को साथ लेकर चलना – सहकारिता के इस मंत्र के आधार पर विश्व सहकारिता दिवस २०१७ का केंद्र विषय (theme) है – अंतर्वेशन (inclusion)| सहकारिता के मूल मंत्र – अंत्योदय – से प्रेरित विकास में सभी का समावेश ही राष्ट्र को प्रगतिपथ पर आगे ले जा सकता है|
भारत में सहकारिता का वर्तमान
भारत का सहकारी आंदोलन या कोऑपरेटिव मुव्हमेंट इसके स्वाधीनता संग्राम से भी अधिक पुराना है| लगभग एक सौ दस सालों के इस सहकारिता के इतिहास को समझना आसान नहीं मगर रोचक जरुर है| सहकारी समितियों का प्रमुख उद्द्येश सभी सदस्यों की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए किसी व्यवसाय के माध्यम से समाज की आर्थिक सेवा करना है| लेकिन आज के बदलते दौर में सहकारिता केवल आर्थिक विकास तक ही सिमित नहीं रही है बल्कि आर्थिक विकास के साथ साथ समाज कल्याण, व्यक्ति विकास एवं सांस्कृतिक विकास का दायित्व भी यह सहकारी समितियाँ ले रही हैं| सर्वेक्षण(survey) के आँकड़े कहते हैं की वर्तमान दिवस में देश भर में पाँच लाख से भी अधिक सहकारी समितियाँ कार्यरत हैं और करोडों लोगों के लिए रोजगार के नए द्वार खुल रहे हैं कृषि, उर्वरक, दुग्ध व्यवसाय के साथ साथ बैंकिंग (banking), उत्पादन व विपणन (production and marketing), वित्तीय(finance), गृहनिर्माण(housing board) एवं उपभोक्ता केन्द्र(consumer stores) जैसे क्षेत्रों में भी सहकारी समितियों ने अपना सिक्का जमा लिया है|
नॅशनल युवा कोऑपरेटिव सोसायटी
नॅशनल युवा को-ऑपरेटिव सोसायटी(NYCS) एक ऐसी सहकारी समिती हैं जो युवा सशक्तिकरण के माध्यम से देश को विकास पथ पर आगे ले जाने के लिए सज्जित है| कौशल विकास, सूक्ष्म वित्त, बायो एनर्जी एवं खेल के क्षेत्रों में युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए उनकी सक्षमता बढ़ाने का कार्य एन.वाय.सी.एस कर रही है| युवा विकास से राष्ट्र विकास के मंत्र को ध्येय बनाते हुए एन.वाय.सी.एस केंद्र सरकार के साथ “प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना” तथा महाराष्ट्र सरकार के साथ “कौशल्य सेतू अभियान” में ट्रेनिंग पार्टनर के रुप में कार्यशील है| एन.वाय.सी.एस की जननिधि लघु वित्तीय संस्था युवाओं और महिलाओं में उद्यमिता प्रोत्साहित करते हुए उनके आर्थिक सशक्तिकरण में मदद करती हैं| सरकार की “जन औषधि” योजना में भी कार्यान्वयन सहकारी के रुप में एन.वाय.सी.एस का कार्य रहा है| गेल (इंडिया) लिमिटेड के साथ मिलकर एन.वाय.सी.एस आनेवाले ऑलंपिक प्रतियोगिताओं में देश को एथलेटिक मेडल दिलाने के लिए युवक-युवतियों में अंतःप्रेरणा जागृत कर इस लक्ष्यप्राप्ति के लिए तैयार कर रही है| फुटबॉल के क्षेत्र में खास कर लड़कियों के लिए “खेलेगी तो खिलेगी” कार्यक्रम की पहल भी एन.वाय.सी.एस ने की है| हाल ही में पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ “बायो-एनर्जी उर्जा उत्सव” के आयोजन का कार्यभार भी एन.वाय.सी.एस ने उठाया है|
नए क्षेत्रों में युवाओं को रोजगार और उद्यमिता के नए अवसर दिलाने का एन.वाय.सी.एस का निरंतर प्रयास रहेगा| अपने प्रतिनिधियों के नेटवर्क द्वारा भारत के हर राज्य हर शहर और हर गाँव में पहुँच कर हर भारतवासी को विकास की कड़ी से जोडने के लिए, नव भारत के निर्माण में सभी के अंतर्वेशन के लिए एन.वाय.सी.एस कटिबद्ध है|
सहकारिता – उज्वल भविष्य की पहली सीढ़ी
सहकारी आंदोलन की वजह से समाज के उपेक्षित वर्गों को भी संगठनातम्क शक्ति की ताकत मिली है| सभी को समान रुप से अभावग्रस्तता से लड़ने के और रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं| सहकारिता का लक्ष्य – विकास की सीढ़ी पर सबसे नीचे खड़े अंतिम व्यक्ति का आर्थिक विकास और उसकी उन्नति है| अंत्योदय – किसी को भी पीछे न छोड़ने का प्रण ही सहकारिता को आपसी समन्वय से उसके अंत्य उद्दिष्ट तक ले जाएगा| शाश्वत सिद्धांतों और मूल्यों के अनुपालन के फलस्वरूप ही सहकारी सँस्थाएँ आज के प्रतियोगिता भरे युग में भी प्रगति पथ पर अग्रेसर हैं| पूँजीवाद एवं समाजवाद जैसी पद्धतियों के बीच यही “सर्व समावेशक” सहकारिता एक शाश्वत आर्थिक पद्धति बन पाई है और भविष्य में भी इसी कारण समाज, राष्ट्र और परिणाम स्वरुप विश्व को एकत्रित विकास के सूत्र में बाँधते हुए सही अर्थ में “वसुधैव कुटुम्बकम” का मंत्र सार्थ कर पाएगी |
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