देश में रोजगार और उद्यमिता के लिये शहरी युवाओं के सक्षमीकरण की जितनी आवश्यकता है, उतनी ही देश के ग्रामीण युवाओं के लिये भी है. आज भी गावों में एक हजार रुपये पर गुजर बसर करने वाले परिवार हैं. उन परिवारों के युवाओं को यदी उपयुक्त प्रशिक्षण देकर तयार किया जाय तो वे ८ से १० हजार रुपये महीना कमा सकते हैं. उन्हें आवश्यकता है योग्य प्रशिक्षण की. उपरोक्त बात केंद्रीय कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूढी जी ने कही. नॅशनल युवा को-ऑपरेशन सर्विस की आम सभा में आयोजित कार्यक्रम में प्रमुख अतिथी के रूप में उन्होंने यह बात कही.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लगभग दो साल पहले इस मंत्रालय की स्थापना की. देखा जाय तो यह एक स्टार्टअप मंत्रालय है. इसके द्वारा अधिकाधिक संख्या में देश के युवाओं में कौशल विकास करना और अधिकाधिक युवाओं तक पँहुचना एक बडी चुनौती है. इस चुनौती को पार करने के लिये देश की तमाम देशभक्ति संस्थाओं को इस मंत्रालय से जोडना आवश्यक है. ऐसी भावनाएँ रूढी जी ने व्यक्त की.
उन्होंने कहा, इस देश में लगभग ५ करोड लोग गरीब हैं. शहरों से हटके काम करने से आपकी संस्था की ख्याती तो बढेगी ही साथ ही वहाँ के युवाओं को रोजगार की एक नयी दिशा भी मिलेगी. किसी गाँव की आदीवासी बेटी को ब्यूटीशियन के कोर्स का प्रशिक्षण देकर यदी वह महीना २० से २५ हजार कमाए तो इससे बडा ईश्वरीय कार्य क्या होगा.
देश में जिस तरह उच्च शिक्षित नौजवानों की आवश्यकता है उसी प्रकार कुशल श्रमिकों की भी आवश्यकता है. आज देश में १८ लाख वाहन चालकों की आवश्यकता है. जहाँ जरूरत है वहाँ लोग उपलब्ध नहीं है, और जहाँ लोग उपलब्ध हैं वहाँ उन्हे उपयुक्त प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा. हमें मिल कर इसी दूरी को कम करना है. ग्रामीण युवाओं को इस तरह के प्रशिक्षण देकर सक्षम करना है. यह भी उन्होंने कहा.
वे कहते हैं, दिल्ली में आज ओला और ऊबर टॅक्सी अॅप के माध्यम से अनेक लडकियाँ आत्मनिर्भर हुईँ हैं. वे ३० से ४० हजार रुपये महीना कमा कर अपना और अपने परिवारों का सम्मान के साथ उदरनिर्वहन कर सकती हैं. यह अपने आप में एक बडी उपलब्धी है. इसी तरह गावों में हजार १५०० रुपये कमाने वाले युवाओं को तीन महीने के प्रशिक्षण से यदी १० -१५ हजार रुपये महीने की कमाई तक पँहुचाया जाय तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है.
प्रधान मंत्री कौशल योजना का परिचय देते हुए वे कहते हैं की, कौशल विकास योजना के तहत तीन क्षेत्रों में युवाओं को लाभ मिल सकता हैं. युवा चाहें तो प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद स्वयं का व्यवसाय शुरु कर उद्यमिता के क्षेत्र में काम कर सकते हैं. इसके अलावा एप्रिंटिसशिप योजना के तहत तीन महीने पढाई करने के बाद वे एप्रिंटिस के रूप में कार्य कर सकते हैं. इसके अलावा प्राप्त प्रशिक्षण के बाद वे रोजगार भी प्राप्त कर सकते हैं. ग्रामीण युवाओं को इस योजना से काफी लाभ मिला है.
युवाओं के लिए कार्य करने वाली एनवायसीएस जैसी सभी संस्थाओं को आव्हान करते हुए उन्होंने कहा की, कौशल विकास मंत्रालय से सभी संस्थाएँ जुडें और युवाओं से संबंधित कार्यों में हाथ बटाएँ. उन्होंने कहा, समाज में कुछ संस्थाएँ ऐसी हैं, जिन पर पूर्णत: विश्वास नहीं किया जा सकता. इन संस्थाओं के कारण कौशल विकास का माहोल खराब हो रहा है. इसी लिए कौशल विकास केंद्रों का जाल बिछा कर अच्छी संस्थाओं से जुडने का मंत्रालय का प्रयत्न है. आपकी संस्था इसमें सर्वश्रेष्ठ बने इस हेतु आपको संकल्प करना चाहिये.
देश के ग्रामीण युवाओं में बहुत क्षमता है. इस क्षमता का पूर्ण उपयोग करने की आवश्यकता है, एसा भी उन्होंने कहा.